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Rashmi Kotriwala

रश्मि कोटरीवाला का जन्म एवं मौलिक शिक्षा, कोलकाता में हुयी है।
रश्मि, विवाह के पश्चात, कोलकाता के अलावा, हैदराबाद और मस्कट में भी छोटे अंतराल के लिए रही हैं। २००५ से, वे अपने पति गौतम, और दोनों बेटियों निष्ठा और कृपा के साथ, दुबई में रहती हैं।

दुबई के कला क्षेत्र में, इन्होने नाट्य कला की वजह से, एक विशेष जगह बना ली है। रश्मि आज कल, एनक्ट नामक ड्रामा ग्रुप चलाती हैं जिसके अंतर्गत सभी उम्र वालों को अभिनय और निर्देशन की शिक्षा प्रदान करतीं हैं।
नाट्य कला के अलावा रश्मि को, हर तरह की कलाओं से प्रेम है। इनको भाषा से इतना लगाव रहा है, कि इन्होने हिंदी और अंग्रेजी लेखन से, अपने आप को हमेशा जोड़े रखा।

युवावस्था में ही रश्मि ने लिखना आरम्भ कर दिया था। अक्सर इनकी कवितायेँ भारतीय पत्रिकाओं में छपती थीं। यह लेख, पत्र, नाटक, ब्लॉग आदि बहुत विधाओं में स्वयं को हद तक डुबाये रखती हंै। “ख़्यालों के दरमियान,” ख़्यालों के दरमियान ही प्रस्तुत हो गयी। पिछले २ वर्षों से रश्मि के दोस्त और परिवार वाले उनसे अपनी कवीता संग्रह को छपवाने को कह रहे थे। आखिरकार यह स्वप्रकाशित की जा रही है, इस उम्मीद के साथ की पाठकों को पसंद आएगी। इस किताब में पिछले ३५ वर्षों में लिखी गयी रचनाओं में से चुनिंदा काव्य प्रकाशित किये गए हैं।

रश्मि, एक हरफ़नमौला कलाकार हैं, जो सारा जीवन, कला की सेवा करने में व्यस्त रहीं हैं। उनके ५० बरस की उम्र तक नाट्य कला, लेखन, पेंटिंग, नृत्य, कई कलाओं में महारत हासिल की है। इस किताब में, कई जगह आपने “शमीर” के उपनाम का प्रयोग भी किया है।

अगर पाठकों और प्रशंसकों को “शमीर” द्वारा प्रस्तुत, शब्द और विचार, पसंद आएं, तो इनको सोशल मीडिया पर फॉलो कर सकते हैं।

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