हमारी आँखें, हमारे कान खुले रहें, तो हर जगह कोई न कोई कि़स्सा, कोई न कोई कहानी देखने-सुनने को मिल जाती है। बस, उसके साथ ज़रूरत होती है, थोड़ी सी कल्पना की उड़ान की। हमारी सोच, हमारा परिवेश कहानियों में ढलकर और लोगों को भी हमसे जोड़ता है। ठीक वैसे ही ये कहानियाँ ज़िन्दगी का आईना हैं।
बच्चों की कलम से निकली कहानियाँ हों या फिर बड़ों की लेखनी से, इनसे जीवन के सामाजिक-नैतिक सरोकार सामने आते हैं। इनमें बुराई पर अच्छाई की जीत के पारंपरिक आदर्श मौजूद हैं, जो हर काल में प्रासंगिक रहे हैं और साथ ही जीवन के कटु यथार्थ को भी इनमें स्वर मिला है। बच्चों की दुनिया अभी छोटी है, उनकी दृष्टि और उनका दृष्टिकोण अभी आगे जाकर विस्तृत होगा। अमीरी-ग़रीबी, सच-झूठ, सही-ग़लत के उनके निष्कपट पैमाने उनकी मासूम सोच की अभिव्यक्ति हैं। वहीं परिपक्व लोगों की लेखनी के माध्यम से हम भावनात्मक टकरावों, जीवन के ताने-बाने और उसकी जटिलताओं से दो-चार होते हैं।
दास्तान — कहानियों की दुनिया; ये 26 कहानियाँ बच्चों और बड़ों की दुनिया, उनकी सोच, उनकी रचनात्मकता के बिल्कुल अलग सिरों को पाठकों के सामने प्रस्तुत करती हैं। कहानी का माध्यम, भाषा का शिल्प इन दोनों सिरों को जोड़ता है।