ब्रिटिश वास्तुकार हेनरी इरविन ने विक्टोरियन गौथिक शैली में गेयटी थिएटर भवन का निर्माण किया। विश्व में केवल छह ही ऐसे थिएटर हैं। अंग्रेज़ों की दिली ख्वाईश के चलते 30 मई 1887 को गेयटी थिएटर में पहला नाटक ‘टाइम विल टेल’ खेला गया। 121 वर्षों के बाद 2008 में गेयटी थिएटर भवन का जीर्णोद्धार प्रसिद्ध वास्तुकार श्री वेद सिंगल की देखरेख में सम्पन्न हुआ।
‘गेयटी के रंगचर’ पुस्तक की विषयवस्तु में गेयटी थिएटर शिमला में वर्ष 1970 से लेकर वर्ष 2022 तक जिन्होंने शिमला शहर के रंगमंच को समर्पित होकर निर्देशन और अभिनय किया है उनकी रंगमंचीय यात्रा की स्मृतियों के बेशकीमती खज़ाने को शामिल किया गया है। इस पुस्तक से शोधार्थी और सभी कलाकार समकालीन रंगमंचीय इतिहास से परिचित हो सकेंगे। इस पुस्तक में गेयटी थिएटर के इतिहास के साथ-साथ ब्रिटिश समय के रंगमंचीय इतिहास को भी शामिल किया गया है।
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से स्नातक सुश्री अमला राय, विपिन भारद्वाज, दक्षा शर्मा और संगीत नाटक अकादमी से पुरस्कृत श्री केदार ठाकुर, श्री केहर सिंह ठाकुर की रंगमंचीय यात्रा के विभिन्न आयामों का परिचय इस पुस्तक के माध्यम से पाठक और शोधार्थी को मिलेगा, जिससे वे रंगकर्म की बारीकियों से रूबरू हो सकेंगे।
‘गेयटी के रंगचर’ पुस्तक में शिक्षा में रंगमंच, लोक नाट्य, हिमाचल रंगमंच विकास दशा और दिशाएं हिमाचल सांस्कृतिक शोध संस्थान, नाट्य् निर्देशन व परिकल्पना विधि इन सभी विषयों पर आलेख हैं।
यह पुस्तक हिमाचल प्रदेश के रंगमंचीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है।