अंबानी भाइयों का झगड़ा केवल विरासत का झगड़ा न होकर उससे कहीं बढ़कर है। यह देश के प्राकृतिक संसाधों से भी जुड़ा है।
परंजॉय गुहा ठाकुरता दिखाते हैं कि कृष्णा-गोदावरी बेसिन के गैस भंडारों पर हुआ विवाद किस प्रकार गैस के मूल्य-निर्धारण से जुड़ा तूफान बन गया, जिसमें भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, पेट्रोलियम एवं गैस मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय भी शामिल हो गए। अंबानी परिवार में हुए बंटवारे के लिए जहां कई कारणों को ज़िम्मेदार माना जाता है, वहीं यह पुस्तक तर्क देती है कि अंबानी भाइयों के बीच की लड़ाई मुख्यतः प्राकृतिक गैस पर नियंत्रण की लड़ाई थी।
गैस की जंग एक ओर जहां बताती है कि किस तरह सरकारी नीतियों से भारत के सबसे बड़े कॉर्पोरेट समूह को फायदा मिला, वहीं यह कुछ भयावह तथ्य भी सामने रखती है कि कुछ लोगों की जेर्वे भरने के लिए किए गए देश के संसाधनों के निर्मम दोहन से किस प्रकार प्राकृतिक आपदा की आशंका बन गई।